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अपने बच्चे को बनाएं सुपर कंप्यूटर मिडब्रेन एक्टिवेशन के द्वारा, जानिये क्या है मिडब्रेन एक्टिवेशन - सौरभ दुबे
अपने बच्चे को बनाएं सुपर कंप्यूटर मिडब्रेन एक्टिवेशन के द्वारा, जानिये क्या है मिडब्रेन एक्टिवेशन - सौरभ दुबे
13:23Anonymous
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आंखों पर पट्टी बांधकर किताब पढ़ने की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो आंखों पर पट्टी बांधकर किसी भी चीज का रंग बता सकते हैं, नोट का सीरियल नंबर बता सकते है, आपके पास एटीएम कार्ड किस रंग और किस बैंक का है । यह सब कुछ आंखें बंद होने वाबजूद चुटकियों में बता देंगे....उनका कहना है कि यह मिडब्रेनएक्टिवेशन टेक्निक के कारण संभव हुआ है और वो आंखें बंद कर कुछ भी काम कर सकते हैं ।
मिडब्रेन एक्टिवेशन क्या होता है ?
मिडब्रेन एक्टिवेशन ट्रेनर्स के मुताबिक हमारे दिमाग के तीन हिस्से होते हैं, जिन्हें वो राइट ब्रेन, लेफ्ट ब्रेन और मिडब्रेन कहते हैं । आमतौर पर लोग अपने राइट ब्रेन का इस्तेमाल बेहद कम करते हैं । हम अपने जीवन में दिमाग का छोटा सा अंश ही इस्तेमाल करते हैं । लेफ्ट ब्रेन का उपयोग तार्किक क्षमता के लिए होता है जबकि सृजन शक्ति से सम्पन्न राइट ब्रेन का उपयोग न के बराबर हो पाता है, जिसमें प्रतिभाएं सुप्त अवस्था में विद्मान रहती हैं । मिडब्रेन एक्टिवेशन ट्रेनर्स का दावा है कि मिडब्रेन अगर एक्टिव हो जाय तो बच्चा आल राउंडर बन सकता है, उसके आई.क्यू. और ई.क्यू. दोनों एक साथ बढ़ते है। मिडब्रेन एक्टिवेशन के लिए विशेष प्रकार की तकनीक विकसित की गई है जो ध्यान और विज्ञान के संयोग से बनी है । मिडब्रेन एक्टिव होकर लेफ्ट ब्रेनऔर राइट ब्रेन के बीच सूचनाओं के ब्रिज का काम करता है। ऐसा माना जाता है कि मिडब्रेन एक्टिवेशन की शुरूआत जापान से हुई और जापान के ही माकोटों सिचेडा अपने आपको इसका पितामह बताते है।
कैसे करें मिडब्रेन एक्टिव ?
देश के महानगरों में मिडब्रेन एक्टिव कराने वाले बहुत सारे कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, उन सेंटर्स में प्रशिक्षण देने वाले ट्रेनर्स का कहना है कि वो ध्यान और विज्ञान का प्रयोग करके ऐसी तकनीक विकसित कर चुके हैं जिससे मिडब्रेन को एक्टिव किया जा सकता है । इस प्रयोग में सबसे पहले बच्चे के दिमाग को अल्फा तरंग की स्टेज में लाया जाता है, इस प्रयोग में हिप्नोटिज्म की तरह अवचेतन मन की शक्ति का भी इस्तेमाल होता है । फिर एक खास तरह की ध्वनि सुनवाई जाती है, जिससे मिड-ब्रेन के न्यूरान सेल्स सक्रिय हो जाते हैं। ब्रेन एक्सरसाइज मस्तिष्क को ज्यादा तीक्ष्ण बनाते हैं । आखिर में ध्यान योग के जरिए मिडब्रेन एक्टिव होता है । लगभग 3 महीने अभ्यास करने से पूरा एक्टिवेशन हो जाता है। मिडब्रेन एक्टिव कराने वाले सेंटर्स के संचालकों का कहना है कि 15 साल तक के बच्चों को यह कोचिंग दी जाती है क्यों कि इस उम्र के बाद हार्मोनल परिवर्तन के कारणमिडब्रेन एक्टव करना मुश्किल होता है । ‘एडल्ट मिडब्रेन एक्टिवेशन’ नाम से एक नई तकनीक विकसित हो रही है जिससे 50 साल की आयु वाले लोगों तक का मिडब्रेन एक्टिव किया जा सकेगा । वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्माण्ड में सबसे जटिल और रहस्मई चीज मनुष्य का दिमाग है. जिसके बारे में बहुत सारे सवाल अनसुलझे हैं ।
आंखों पर पट्टी बांधकर आप भी पढ़ सकते हैं किताब !
दिल्ली के सरदार पटेल विद्यालय में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला सम्यक जैन आंखों पर पट्टी बांधकर हर काम कर सकता है, यह कोई चमत्कार नहीं है बल्कि मिडब्रेन एक्टिवेशन का कमाल है । ध्यान की यह तकनीक मिडब्रेन एक्टिवेशन नाम से मलेशिया, सिंगापुर और जापान जैसे देशों में करीब 20 साल से चल रही है जबकि पश्चिमी सभ्यता के पीछे अंधी दौड़ में भारतीय इसे भुला बैठे । यहां तक की बहुत सारे देशों में पुलिस भी अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाने में इस तकनीक का सहारा लेती है ।
आलोचना उधर दूसरी तरफ मिडब्रेन एक्टिवेशन तकनीक की आलोचना करने वाले भी कम नहीं है आलोचकों का कहना है कि यह आधुनिक युग का अंधविश्वास है । वो मानते हैं कि पहले सिर्फ टोनही प्रथा, डायन या भूत प्रेत की कथा पर ही लोग अँधविश्वास करते थे लेकिन अब अंधविश्वास नये नये लिबास में झूठे साईंस के बहाने लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। मिडब्रेन एक्टिवेशन के नाम पर मोटी फीस वसूलकर लोगों को ठगा जा रहा है । इस ठगी में बच्चों को टारगेट किया जा रहा है ताकि उन्हें आसानी से बहलाया जा सके । यही कारण है कि कुछ देशों में इस प्रकार के कोचिंग देने की अनुमति नही दी गई। ऐसी कोचिंग के लिए 25 से 50 हजार तक की रकम एक बच्चे के माता पिता से वसूली जाती है और फिर उसे यह झूठ बोलने के लिए कहा जाता है
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