सौरभ दुबे/
वैसे
तो सभी जानते हैं कि जब देश पर कोई विदेशी आक्रमण होता है तो हमारी सेनाएं दुश्मन
को हमेशा मुंहतोड़ जवाब देती हैं, लेकिन
शायद बहुत काम लोग ही जानते हैं कि युद्ध के वक्त भारतीय सेना की मदद करने के लिए
दिव्य शक्तियां भी प्रकट होती हैं। कहा जाता है कि माता धूमावती ने 1962 के युद्ध में रणक्षेत्र जाकर भारतीय
सेना की मदद की थी और चीनी सैनिकों को खदेड़ भगाया था । दरअसल, जब दुश्मन देश चीन ने भारत पर अचानक
हमला किया, उस वक्त भारतीय सेना को संभलने के लिए
थोड़ा पीछे हटना पड़ा तब संकट गहराता देख दतिया पीतांबरा पीठ के संस्थापक श्री
स्वामीजी ने देश की रक्षा के लिए देवी का अनुष्ठान कर आह्वान किया था। इस अनुष्ठान
में देशभर से सिद्ध आचार्य बुलाए गए और विशेष यज्ञ किया गया था । इस यज्ञ से माता
धूमावती प्रकट हुई थीं । स्वामीजी ने माता से युद्ध क्षेत्र में भारतीय सेना की
मदद करने की प्रार्थना की और धूमावती माता ने रण भूमि पर जाकर चीनियों को मार
भगाया था । चीनी सेना के फौजियों ने माता धूमावती को हाथ में बड़ा हंटर लिए भयानक
संहारक के रूप में देखा तो वो पीछे भाग खड़े हुए, जिसका परिणाम युद्ध विराम हुआ। इतना ही
नहीं, ये भी कहा जाता है कि उस वक्त भारत की
तरफ से युद्ध में हनुमान जी की सेना यानि ट्रेंड बंदरों ने चीनी सेना से लोहा लिया
था और चीनी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे । शायद यही कारण है कि चीन की पीपल्स
लिब्रेशन आर्मी बंदरों की सेना बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है । यही नहीं, आज भी भारतीय सेना की सहायता के लिए
बाबा हरभजन सिंह, जयवंत सिंह रावत जैसी दिव्य विभूतियां
पहुंचतीं हैं...जो मरने के बाद भी देश की हिफाजत में लगी हैं और सेना भी यह बात
पूरी तरह मानती है । ..।गौरतलब है कि जयवंत सिंह रावत सेना के शहीद हो चुके भारतीय
सैन्य अधिकारी हैं, मगर सेना में आज भी उनका दर्जा जिंदा
अधिकारी के बराबर है । उन्हें आज भी सेना में मरा हुआ नहीं माना जाता बल्कि मरने
के बाद भी वक्त-वक्त पर उनका प्रमोशन होता है, रोज उनके जूते पॉलिस करके रखे जाते हैं
और बिस्तर लगाए जाते हैं । शाम को उनके जूतों में मिट्टी लगी मिलती है और सुबह
बिस्तर के चादर पर सिलबटें । भारतीय सैनिकों का कहना है कि जयवंत सिंह रावत आज भी
सैनिकों को अनुशासन का पालन नहीं करने पर दंड देते हैं और वक्त पड़ने पर मदद करते
हैं।
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