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योग का बहुत छोटा सा भाग हिप्नोटिज्म, मैस्मेरिज्म की पूरी कहानी-सौरभ दुबे



/ हिप्नोटिज्म के बारे में साधरणत: लोगों में यही भ्रम है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ किसी दूसरे व्यक्ति से मनचाहा काम कराने के लिए किया जाता है और यह कोई अद्भुत विद्या है लेकिन यह पूरी तरह सत्य नहीं है । देवानंद के जमाने की पुरानी फिल्मों में बहुत बार ऐसा ही देखा गया है कि जब घड़ी का पेंडुलम दूसरे व्यक्ति की आंखों के सामने लटकाकर हिलाया जाता है तो फिर उक्त व्यक्ति हर मनचाहा काम करने के लिए तैयार हो जाता था। इसके अलावा अधिकांश लोगों को हिप्नोटिज्म के बारे में बहुत कुछ नहीं मालूम । जिसे कम से कम शब्दों में हम आपको सबसे आसान तरीके से बताएंगे । माना जाता है कि हिप्नोटिज्म के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान का हाल बता देना मामूली बात है साथ ही, इसका उपयोग करके बहुत सारी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है । 

हिप्नोटिज्म का इतिहास

अलग-अलग काल में हिप्नोटिज्म के भिन्न – भिन्न नाम रहे हैं जैसे मोहिनी विद्या, प्राण विद्या, त्रिकाल विद्या, सम्मोहन और मैस्मेरिज्म आदि । इसके बारे में लोगों के अलग-अलग मत हैं, जहां कुछ लोग इसे कला मानते हैं तो वहीं, इस पर शोध करने वाले पश्चिमी देशों के विश्लेषकों ने हिप्नोटिज्म को विज्ञान माना है । हिप्नोटिज्म का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी मानव सभ्यता । प्राचीनकाल में हिप्नोटिज्म को सम्मोहन या मोहिनी विद्या कहा जाता था, भगवान श्री कृष्ण इसी मोहिनी विद्या में पारंगत थे और इसी कारण उनका नाम मोहन भी पड़ा । आधुनिक रूप से सम्मोहन 18वीं शताब्दी से प्रारंभ हुआ । इसे अर्ध-विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित कराने का श्रेय ऑस्ट्रियावासी फ्रांस मेस्मेर को जाता है, उन्हीं के नाम पर इसका नाम मेस्मेरिज्म पड़ा और इसके बाद मोहिनी विद्या पर 19वीं शताब्दी में डॉ. जेम्स ब्रेड ने शोध किए, उन्होंने इसे हिप्नोटिज्म कहा । अब यही हिप्नोटिज्म नाम लोगों के बीच प्रचलित है । 

हिप्नोटिज्म क्या है ?

मनुष्य ईश्वर की अद्भुत रचना है और मानव मन की गति अपार है । मन की कल्पना शक्ति से ही मनुष्य ने वायुयान, टीवी, मोबाइल जैसे बड़े-बड़े अविष्कार किए हैं । मानव मन के दो भाग होते हैं पहला चेतन मन, दूसरा अवचेतन मन । अवचेतन मन की शक्ति अपार बताई जाती है, ऐसा माना जाता है कि इसी अवचेतन मन की शक्ति को जागृत करके बड़े-बड़े असंभव काम किए जा सकते हैं । हिप्नोटिज्म का प्रयोग करते समय अवचेतन मन की शक्ति का प्रयोग किया जाता है । दरअसल, हिप्नोटिज्म मानव मन की एक दशा है, जिसमें मन को एक विशेष स्थिति में पहुंचाया जाता है । मन को इस स्थिति में लेकर जाने के पीछे इच्छा शक्ति काम करती है । कोई भी व्यक्ति अपने मन को काबू में करके हिप्नोटिज्म में दक्ष बन सकता है और किसी दूसरे व्यक्ति को हिप्नोटाइज कर सकता है मगर इसके लिए अत्यधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है । दुनियाभर के देशों में इस पद्धति से नाना प्रकार के रोगों को दूर किया जाता रहा है । साधारण शब्दों में कहा जाए तो हिप्नोटिज्म निद्रा और जागृत अवस्था के बीच की अवस्था है । उर्दू में इसे ‘इल्म सवज्जह’ और हजारत दोनों ही नाम से जाना जाता है साथ ही, भारतीय योग शास्त्र में इसका सबसे अधिक विस्तृत तरीके से वर्णन दिया गया है । दरअसल, योग का क्षेत्र इतना विस्तृत है कि इसके बारे में शब्दों में व्याख्या करना अत्यंत कठिन काम है, क्यों कि भारतीय ऋषि-मुनि बरसों योग साधना करने के बाद भी इसकी अनंत गहराई की थाह नहीं ले सके । हिप्नोटिज्म योग का छोटा सा अंग है जिसे वर्तमान में नाम बदलकर प्रस्तुत किया गया है । 

कैसे करे हिप्नोटिज्म का अभ्यास ? 

ध्यान योग से अवचेतन मन की शक्ति को जगाया जा सकता है। इसके लिए आप प्रतिदिन सुबह और शाम को प्राणायाम के साथ ध्यान करें । निरंतर अभ्यास करने से आपके चेहरे पर ओज बढ़ने लगेगा और चुंबकीय शक्ति जाग्रत होने लगेगी । यही चुंबकीय शक्ति दूसरे प्राणी को सम्मोहित करती है यही नहीं, ध्यान योग के उच्च शिखर पर पहुंचने के बाद व्यक्ति भूत-भविष्य और वर्तमान का हाल बताने में समर्थ हो जाता है । भारतीय मनीषियों ने इसके लिए नियम, आसन, प्रत्याहार, प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि जैसे आवश्यक तत्व बताए हैं मगर पाश्चात्य विद्वानों ने सिर्फ प्राणायाम और त्राटक पर जोर दिया है । त्राटक एकटक देखने की विधि का नाम है जैसे आप किसी दिए की लौ को बिना पलक झपकाए निहारते रहें और अपने मन को भाव शून्य बना ले । यह सेल्फ हिप्नोटिज्म की सबसे आसान विधि है, जिसमें सफलता पाने के बाद व्यक्ति किसी दूसरे को भी हिप्नोटाइज करने में भी सक्षम हो जाता है मगर सम्मोहित व्यक्ति से कोई भी अनैतिक काम कराना मुश्किल है । 

हिप्नोटिज्म से चिकित्सा 

हिप्नोटिज्म का इस्तेमाल मनोवैज्ञानिक चिकित्सा में किया जाता है। पश्चिमी देशों में सम्मोहन को एक विज्ञान के रूप में कानूनी मान्यता मिल चुकी है, वहां अस्पतालों में अन्य चिकित्सकों की तरह सम्मोहनवेत्ताओं के अलग से पद होते हैं एवं पुलिस भी अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाने में सम्मोहनवेत्ताओं की मदद लेती है । इसकी सहायता से प्रसव पीड़ा को कम किया जा सकता है, ऐसे बहुत सारे चिकित्सक हैं जो छोटे-मोटे ऑपरेशन के वक्त मरीज को बेहोश नहीं करते बल्कि हिप्नोटाइज करके मोहनिद्रा में सुला देते हैं । इसके अलावा, आत्मविश्वास बढ़ाने में यह विधि बेहद कारगर रही है । इसकी सहायता से आप नशे की कोई भी लत से छुटकारा पा सकते हैं। इतना ही नहीं, हिप्नोटिज्म किसी भी तरह के फोबिया से छुटकारा दिलाने में सक्षम है । 

महत्वपूर्ण उदाहरण

• सन् 1877 ई. में अन्तारियो के बौडन नगर में कैरोलिन नाम की 17 साल की युवति रहती थी, जिसमें अचानक चुम्बक शक्ति का प्रादुर्भाव हो गया । यही नहीं, कोई उसे छू लेता तो उसे बिजली जैसा झटका लग जाता । अन्तारियो मेडिकल एसोसिएशन के सम्मुख इसका विस्तृत विवरण 1879 में प्रस्तुत किया गया मगर धीरे-धीरे कैरोलिन की चुम्बक शक्ति खत्म हो गई और वह सामान्य युवति बन गई ।

• साल 1930 में अमेरिका के मेरीलैंड कॉलेज ऑफ फार्मेसी में भी चुम्बक शक्ति का उदाहरण मिला, जहां का सोलह वर्षीय छात्र लुई हैवर्गर अपने उंगलियों के अग्रभाग से छूकर लोहे के सामान को उठा लेता था, ऐसा लगता कि मानो वो सामान उंगलियों से नहीं बल्कि चुंबक से चिपका हो ।

• साल 1889 में मिसौरी के जामलिन नगर में रहने वाले फ्रैक मेक किस्टी के अंदर चुंबक शक्ति सूर्य के ताप से आती और सूर्यास्त के बाद चली जाती थी ।

ऐसे बहुत सारे उदाहरण है, जिनसे पता चलता है कि मनुष्य के अंदर चुंबक शक्ति विद्यमान रहती है । इस चुंबक शक्ति पर अवचेतन मन का नियंत्रण रहता है, जिसे योग्य निर्देशन में साधना द्वारा जागृत किया जा सकता है ताकि सृजनात्मक रूप से शक्ति का प्रादुर्भाव हो सके । वास्तव में सम्मोहन की तीन अवस्थाएं होती हैं, हल्का सम्मोहन, गहरा सम्मोहन और मूर्छित अवस्था । हिप्नोटिज्म के अभ्यास की पहली सीढ़ी आत्मसम्मोहन ही है, किसी दूसरे पर हिप्नोटिज्म का प्रयोग करने से पहले स्वयं इस विघा में कुशाग्र होना आवश्यक है । एक बड़ी भ्रांति यह भी है कि सिर्फ मंद बुद्धि वाले व्यक्तियों को आसानी से सम्मोहित किया जा सकता है जबकि सत्य इसके ठीक विपरीत है । हिप्नोटिज्म के लिए पात्र कम से कम औसत बुद्धि वाला होना आवश्यक है । वैसे हिप्नोटिज्म के बारे में पढ़कर बहुत ज्यादा नहीं समझा जा सकता, इस विद्या को समझने के लिए ध्यान योग का अनुसरण किए जाने की आवश्यकता है । ध्यान योग का सतत् अभ्यास करने पर यह विद्या स्वत: समझ आने लगती है और प्रायोगिक रूप से प्राप्त अनुभवों से हिप्नोटिज्म अथवा मैस्मेरिज्म के बारे में संपूर्ण जानकारी भी मिल जाती है ।

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